Mujhe Tanhaiyon Me Marne De - Amit Vishwas
तू फिर न हों जाना मेहरबान,
जिंदगी !
मुझे तन्हापन में मरने दे !
इस वक़्त को यूं ही चलने दे !
इस रूह को यूं ही जलने दे !

(1)
बड़ी मुश्किलों से अपनाया था मैंने
इस तन्हापन को जिंदगी में
कही पागल न हो जाऊं जिंदगी
तेरी दो पल की दिल्लगी में
चंद खुशियो के बाद का जो गम है
उस दर्द को फिर न बढ़ने दे !
तू फिर न मेहरबान हो जाना ,
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
(2)
तू नफरत मुझ से कर ले सजनी
के मेरा इश्क़ बेअसर हो जाए !
पर इतनी दूर न हो जाना कभी
के तुझसे मोहब्बत और बढ़ जाए !
मेरे ख्वाब तो टूटने के लिए ही है
इस हसीन ख्वाब को भी लुटने दे !
तू फिर न मेहरबान हो जाना
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
(3)
मुझमें है कि क्या मेरा जो तुझपे
हक़ कोई अपना जता दूं सजनी !
तू वाकिफ मेरे हालातों से के
मैं तुझे कैसे कुछ बता दूं सजनी !
बरसो से न हुआ, अब हो गया तो
गुनहगार दिल को बिखरने दे !
तू फिर मेहरबान न हो जाना
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
(4)
जी नहीं लगता महफ़िल में अब
थोड़ी ख़ुशी महसूस हुई थी !
इस कागज़ कलम से दूरी भी थी
कोई दुआ शायद कबूल हुई थी !
कैसे मेरे रंग में तू रंग पायेगा इश्क़
मुझे खो जाना है, तू बहने दे
तू फिर न मेहरबान होना,
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
(5)
या तो थाम ले कुछ पल बाहों में
मरने से पहले जरा जी तो लूँ,
तुझे दुनिया की नजर से उठाकर
सजनी तेरे हिस्से की ख़ुशी तो दूं !
या लौटा दे मुझे वो तन्हापन
अब खुशियों को दूर ही रहने दे
तू फिर न मेहरबान हो जाना,
जिंदगी, मुझे तन्हापन में जीने दे !
(6)
अरसे बाद तमन्ना हुई, खुशियो की
कसक उठी पर नामुमकिन सी !
तू न टूटे, मैं बिखर जाऊँ तो क्या
सजनी तू नाजुक , मेरे दिल सी !
ये कसक फिर कब उठे नही पता,
तेरी फिक्र में तब तक डरने दे,
तू फिर न मेहरबान हो जाना
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
इस वक्त को यूं ही चलने दे
इस रूह को यूं ही जलने दे !
जिंदगी !
मुझे तन्हापन में मरने दे !
इस वक़्त को यूं ही चलने दे !
इस रूह को यूं ही जलने दे !

(1)
बड़ी मुश्किलों से अपनाया था मैंने
इस तन्हापन को जिंदगी में
कही पागल न हो जाऊं जिंदगी
तेरी दो पल की दिल्लगी में
चंद खुशियो के बाद का जो गम है
उस दर्द को फिर न बढ़ने दे !
तू फिर न मेहरबान हो जाना ,
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
(2)
तू नफरत मुझ से कर ले सजनी
के मेरा इश्क़ बेअसर हो जाए !
पर इतनी दूर न हो जाना कभी
के तुझसे मोहब्बत और बढ़ जाए !
मेरे ख्वाब तो टूटने के लिए ही है
इस हसीन ख्वाब को भी लुटने दे !
तू फिर न मेहरबान हो जाना
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
(3)
मुझमें है कि क्या मेरा जो तुझपे
हक़ कोई अपना जता दूं सजनी !
तू वाकिफ मेरे हालातों से के
मैं तुझे कैसे कुछ बता दूं सजनी !
बरसो से न हुआ, अब हो गया तो
गुनहगार दिल को बिखरने दे !
तू फिर मेहरबान न हो जाना
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
(4)
जी नहीं लगता महफ़िल में अब
थोड़ी ख़ुशी महसूस हुई थी !
इस कागज़ कलम से दूरी भी थी
कोई दुआ शायद कबूल हुई थी !
कैसे मेरे रंग में तू रंग पायेगा इश्क़
मुझे खो जाना है, तू बहने दे
तू फिर न मेहरबान होना,
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
(5)
या तो थाम ले कुछ पल बाहों में
मरने से पहले जरा जी तो लूँ,
तुझे दुनिया की नजर से उठाकर
सजनी तेरे हिस्से की ख़ुशी तो दूं !
या लौटा दे मुझे वो तन्हापन
अब खुशियों को दूर ही रहने दे
तू फिर न मेहरबान हो जाना,
जिंदगी, मुझे तन्हापन में जीने दे !
(6)
अरसे बाद तमन्ना हुई, खुशियो की
कसक उठी पर नामुमकिन सी !
तू न टूटे, मैं बिखर जाऊँ तो क्या
सजनी तू नाजुक , मेरे दिल सी !
ये कसक फिर कब उठे नही पता,
तेरी फिक्र में तब तक डरने दे,
तू फिर न मेहरबान हो जाना
जिंदगी, मुझे तन्हापन में मरने दे !
इस वक्त को यूं ही चलने दे
इस रूह को यूं ही जलने दे !