Samajh sakhi - समझ सखी


My poetry

कुछ पल की जिंदगी में भी
खुदा ने दी कुछ पलों की ख़ुशी

इन पलों में
जरा भी बात पर खफा न हो सखी
ये पल भी
शायद फिर किसी दफा न हो सखी

कुछ अपनी गलतियां मान
कुछ मेरी माफ़ करना सखी
ये पल है, कब गुजर जाते है
पता ही नही चलता सखी
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